महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में भाजपा शिवसेना एक साथ तथा कांग्रेस और NCP एक साथ मिलकर लड़ी। दोनों गठबंधन में सीटो का बटवारा थोड़ा बहूत खट पट के साथ संपन्न हुआ। चुनाव में शिवसेना तथा बीजेपी को बहुमत मिला। जब सरकार बनाने की बारी आई तब शिवसेना एक नया बात लेकर सामने आई। उसका कहना था की गठबंधन इसी शर्त पर हुई थी की दोनों पार्टीयो के अढ़ाई अढ़ाई साल के लिए मुख्यमंत्री होंगे जिसका बीजेपी ने पुरज़ोर खंडन किया और संकट की सुरुआत यही से हुई। बीजेपी ने शिवसेना का शर्त नही माना जीससे आगोश में आकर उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से 30 साल पुराना गठबंधन तोड़ लिया। बीजेपी बहुमत से दूर रह गयी और सरकार नही बना पायी। चुकी बहुमत किसी के पास नही था इसलिए तय समय बित जाने पर राष्ट्रपति के अनुशंषा के बाद महाराष्ट्रा में राष्ट्रपति शाशन लगा दिया गया। शिव सेना एनसीपी से जाकर मिली फिर कांग्रेस के पास गयी। मीटिंग होता रहा दो सप्ताह बीत गए पर बात नही बनी, इनलोगो को पर्याप्त समय मिला। इसी बिच बीजेपी और NCP के बिच अंदर खाने में क्या पक रहा था किसी को कुछ नही मालूम ना किसी पत्रकार को न ही किसी राजनीतिज्ञ को। जिस दिन ये तीनो सरकार बनाने का allowance करने वाले थे उसी दिन बीजेपी के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फरणविष और NCP ( राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) के नेता और शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने मिलकर सरकार का गठन कर लिया। अब ये तीनो शिवसेना, NCP, और कांग्रेस कह रहे है की ये लोकतंत्र की हत्या है और संविधान की इज्जत को तार तार कर दिया गया पर ऐसा क्यों?? आप भी तो यही कर रहे थे, अपने विचारधारा के विपरित जाकर शिवसेना से मिल गए तब क्या उस समय लोकतंत्र की हत्या नही हुई? शिव सेना ने बीजेपी के साथ prepoll alliance तोड़ कर NCP और कांग्रेस से मिल गयी तब क्या वहा लोकतंत्र का हत्या नही हुआ?
बताइयेगा जरूर।
धन्यवाद।
बताइयेगा जरूर।
धन्यवाद।